रायपुर। अयोध्या में श्री रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के गौरवशाली क्षण में माता शबरी की भूमि शिवरीनारायण भी राममय हो गया है. त्रेता युग में माता शबरी ने इसी भूमि में श्रीराम को जूठे बेर खिलाये थे. आज शिवरीनारायण की धरती वैसी ही पुलकित है. आज श्रीराम पुनः अयोध्या धाम में पधारे हैं. इस शुभ क्षण को देखने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय शिवरीनारायण पहुंचे.
यहां श्री रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का लाइव प्रसारण हुआ. जैसे ही भगवान श्रीराम साक्षात रूप में नजर आए, सीएम साय, प्रदेश प्रभारी ओम माथुर, महंत रामसुंदर दास सहित अन्य जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में पहुंचे नागरिक श्रद्धावनत होकर हाथ जोड़े खड़े हो गए. भगवान श्रीराम की मंजुल मूर्ति देखकर सभी गहरी श्रद्धा में डूब गए. शुभ शंखनाद और राम रतन धन पायो के स्वर लहरियों के साथ हजारों लोग श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के विलक्षण पल के साक्षी बने.
रघुपति राघव राजाराम के गीत के बीच हाथ जोड़े सभी लोग भक्तिभाव में डूबे रहे. भजन की मोहक प्रस्तुति हो रही है. पूरा पंडाल राम भजन में लीन है. जय जय श्री राम का लगातार उद्घोष हो रहा है. पायो जी मैंने राम रतन धन पायो की इस धुन में छत्तीसगढ़ का तंबूरा भी शामिल है.
शिवरीनारायण से भगवान राम का पुराना नाता
दरअसल, जांजगीर-चाम्पा जिले से भगवान राम का बहुत करीब से नाता है. यहां प्रभु श्रीराम ने वनवास का अधिक समय बिताया है, मान्यता है यहां प्रभु श्री राम ने शबरी के जूठे बेर खाए थे. यहां एक पेड़ ऐसा है, जिसके पत्तों की आकृति दोने के सामान है. माता शबरी ने इसी दोने में राम लक्ष्मण को बेर रख कर खिलाए थे. इस वट वृक्ष का वर्णन सभी युगों में मिलने के कारण इसे अक्षय वट वृक्ष के नाम से जाना जाता है.
जांजगीर-चांपा जिले की धार्मिक नगरी शिवरीनारायण को गुप्त प्रयाग कहा जाता है. यहां तीन नदी, महानदी, शिवनाथ और जोक नदी कर त्रिवेणी संगम है. शिवरीनारायण का नाम माता शबरी और नारायण के अटूट स्नेह के कारण पड़ा और भक्त का नाम नारायण के आगे रखा गया.
बड़े मंदिर यानी नर नारायण मंदिर के पुजारी प्रसन्न जीत तिवारी ने बताया कि शिवरीनारायण को छत्तीसगढ़ के जगन्नाथपुरी के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि इसी स्थान पर प्राचीन समय में भगवान जगन्नाथ स्वामी का मूल स्थान शिवरीनारायण रहा. आज भी साल में एक दिन माघी पूर्णिमा में भगवान जगन्नाथ शिवरीनारायण आते हैं, यहां मंदिर में रोहिणी कुण्ड है, जिसका जल कभी कम नहीं होता, भगवान नर नारायण के चरण कुंड के जल से हमेशा अभिषेक करता है.
शिवरीनारायण मठ मंदिर के पुजारी त्यागी जी महराज ने बताया कि छत्तीसगढ़ मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का ननिहाल और उनकी कर्मभूमि भी है. 14 वर्षों के कठिन वनवास काल में श्रीराम ने अधिकांश समय छत्तीसगढ़ में ही बिताया. माता कौशल्या की जन्मभूमि के कारण छत्तीसगढ़ में श्रीराम को भांजे के रूप में पूजा जाता है. उन्होंने शिवरीनारायण धाम के बारे में बताया कि यही वो पावनभूमि है, जहां भक्त और भगवान का मिलन हुआ था. भगवान राम ने शबरी की तपस्या से प्रसन्न होकर न केवल उन्हें दर्शन दिए बल्कि उनकी भक्ति और भाव को देखकर जूठे बेर भी खाए. आज भी शबरी और राम के मिलन का ये पवित्र स्थान आस्था का केंद्र बना हुआ है.
अयोध्या में प्रभु राम मंदिर निर्माण पूरा होने के बाद शिवरीनारायण में भी प्रभु के प्राण प्रतिष्ठा के इस दिन को खास बनाया गया है. सभी मंदिर को दूधिया रोशनी और झालर के अलावा दीपों से सजाने और दिनभर भजन कीर्तन और भंडारा प्रसाद वितरण करने की तैयारी की गई है. कुल मिलाकर धार्मिक नगरी शिवरीनारायण भी राममय हो गया है.